
पॉलिथीन से पशुओं सहित मानव को बढ़ता खतरा, सजगता की आवश्यकता
बून्दी: हमारे देश में एक रिपोर्ट के मुताबिक प्रतिदिन 15000 टन प्लास्टिक अपशिष्ट निकलता है जो की प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है । प्लास्टिक के बढ़ते उपयोग का इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि पूरे विश्व में इतना प्लास्टिक हो गया हे कि इस प्लास्टिक से पृथ्वी को पांच बार लपेटा जा सकता है।
पर्यावरण को सबसे अधिक आधुनिक युग में सुविधाओं के विस्तार ने ही चोट पहुंचाई है। अब यही प्लास्टिक मानव के जीवन एवं पशुओं के साथ-साथ पृथ्वी के वातावरण के लिए भी खतरा पैदा कर रहा है। मनुष्य की सुविधा के लिए बनाई गई पॉलिथीन सबसे बड़ा सिर दर्द बन गई है। इनको जलाने से निकलने वाला धुंआ ओजोन परत को भी नुकसान पहुंचाता है, जो ग्लोबल वार्मिंग का बड़ा कारण बन रहा है । देश में प्रतिवर्ष लाखों पशु, पक्षी पॉलिथीन के कचरे से मर रहे हैं। इसके लोगों में कई प्रकार की बीमारियां फैल रही है इससे जमीन की उर्वरा शक्ति भी नष्ट हो रही है,तथा भूगर्भीय जल स्रोत दूषित हो रहे हैं। पॉलीथीन कचरा जलाने से कार्बन डाइऑक्साइड कार्बन मोनोऑक्साइड एवं डाई ऑक्सीजन जैसी विषेली गैस उत्सर्जित होती है। इससे सांस, त्वचा आदि की बीमारियां होने की आशंका बढ़ती जा रही है।
पॉलिथीन का इस्तेमाल करके हम न सिर्फ पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहे हैं बल्कि पशुओं में गंभीर रोगों को भी न्यौता दे रहे हैं। पॉलिथीन को ऐसे ही फेंक देने से नालियां जाम हो जाती है, इससे गंदा पानी सड़कों पर फेल कर मच्छरों का घर बनता है ।इतना ही नहीं पशुओं द्वारा इनका सेवन करने से उनमें गंभीर बीमारियों का भी कारण बनते हैं ।
पॉलिथीन प्रदूषण क्या है?
जब प्लास्टिक पृथ्वी पर जगह-जगह जमा होने लगती है और जमा होने के कारण प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से मानव और जीव जंतुओं पर इसका बुरा प्रभाव पड़ने लगता है तो इसे पॉलिथीन प्रदूषण कहा जाता है।
पॉलिथीन का दुष्प्रभाव
कूड़े कचरे के ढेर पर लोगों के फेके गए पॉलिथीन जानवरों के लिए मौत का कारण बनते जा रहे हैं। शहर के विभिन्न कूड़ेदानों एवं स्थान पर बेधड़क लोगों के द्वारा खाने के समान पॉलिथीन में डालकर फेंक दिया जाता है जिसको जानवरों एवं गायों के द्वारा खाने के कारण पशुधन बीमार होता है और समय से पहले मौत हो जाती है।
प्लास्टिक खाने के बाद यह जानवरों के पेट में इकट्ठा होता रहता है। जिससे उन्हें अपच होता है,और पेट में प्लास्टिक की बड़ी मात्रा जठर ग्रंथि को नुकसान पहुंचती है साथ ही पाचन शक्ति को कमजोर कर देती है। पेट में प्लास्टिक की अधिकतम मात्रा जानवरों में जुगाली प्रक्रिया को भी बन कर देती है।
आजकल पशु विभिन्न बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं उनकी मौत भी सहित रखरखाव नहीं होने की वजह से भी हो रही है जिसमें प्लास्टिक खाना भी एक प्रमुख कारण होता है । पॉलिथीन का उपयोग कई सारे कामों को करने के लिए किया जाता है जैसे बाहर से सामान लाना, सब्जी लाना, राशन लाना, इत्यादि यह सभी कार्य के लिए इसका उपयोग बढ़ गया है और पॉलिथीन का प्रयोग बहुत ज्यादा ही करने लगे हैं। क्योंकि बाजार में पॉलिथीन आसानी से उपलब्ध है और बड़े पैमाने पर इसका प्रयोग किया जाता है।
पॉलिथीन के दुष्प्रभाव को रोकने के उपाय क्या-क्या हैं?
मूलचंद शर्मा तलवास समाजसेवी ने आमजनों से अनुरोध किया है, कि पॉलिथीन से बनी वस्तुओं का बहिष्कार करें। पॉलिथीन की बैग और बोतल जो कि उन्हें इस्तेमाल के योग्य है उन्हें जहां तहां नहीं फेके। पॉलिथीन से बनी हुई ऐसी वस्तुओं के इस्तेमाल से बच्चे जिन्हें एक बार इस्तेमाल किया जाने के बाद फेंकना पड़े। पॉलिथीन की जगह कपड़े, कागज और जुट से बने थैलों का इस्तेमाल करें। जब भी आप कोई वस्तु खरीदने जाए तो फिर से कपड़े का थैला अपने साथ लेकर जाएं जिससे कि आपको प्लास्टिक की थैली में समान नहीं लाना पड़े।
दुकानदार से सामान खरीदते वक्त उसे कहे की कपड़े कागज की बनी थैली में ही समान ले। खाने की वस्तुओं के लिए स्टील या फिर मिट्टी के बर्तनों को प्राथमिकता दें। पॉलिथीन के दुष्प्रभाव का प्रचार प्रसार किया जाना चाहिए जिससे कि लोगों द्वारा इसका कम उपयोग में लिया जाए।
स्कूलों में विद्यार्थियों को पॉलिथीन के दुष्प्रभाव के बारे में बताना चाहिए इस पर वाद- विवाद प्रतियोगिता होनी चाहिए जिससे कि विद्यार्थियों को पता चल सके की प्लास्टिक हमारे जीवन के लिए कितना हानिकारक है । जिससे कि वह बचपन से ही कम से कम प्लास्टिक का इस्तेमाल करने लगेंगे। कभी भी पालीथिन को स्वयं नष्ट करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए क्योंकि इससे हम किसी न किसी प्रकार के प्रदूषण को बढ़ावा ही देंगे। इससे अच्छा होगा कि हम किसी रिसाइकिल करने वाली कंपनी को यह प्लास्टिक देदे।
मूलचंद शर्मा ने आम जनता के साथ साथ सरकारों से भी अनुरोध किया है कि प्लास्टिक से निर्मित सामान्य जीवन में काम आने वाली थैलीयों की जगह पर कपड़े या कागज की बनी हुयी सामग्री का ही उपयोग करें। कपड़े व कागज से निर्मित सामग्री की उपलब्धता पर सरकार विशेष ध्यान दें। दैनिक उपयोग में आने वाली प्लास्टिक सामग्री पर पूर्णतया प्रतिबंध नहीं किया जावेगा ,समस्या बढ़ती ही जावेगी जिसका खामियाजा सम्पूर्ण धरती पर रहने वालों को भुगतना होगा।
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