नीमकाथाना जिला हटाये जाने के विरोध में 22वें दिन भी धरना रहा जारी

नीमकाथाना जिला हटाये जाने के विरोध में धरना में विधायक सुरेश मोदी भी शामिल रहे

नीमकाथाना: जिला बनाने की मांग को लेकर 22 वें दिन भी हड़ताल जारी रहा जिसमें विधायक मोदी ने भूख हड़ताल पर बैठे लोगो को माला पहनाकर संबोधित किया जिसमें आज ग्राम पंचायत नाथ की नांगल के घासीराम शर्मा पूर्व सरपंच, बसंत यादव पूर्व सरपंच, लक्ष्मण चोल्डा, हेमराज गुर्जर, लालचंद खड़ेतिया, कैलाश चंद यादव सुमेर सिंह तंवर, सावल राम फार्मर ने नीमकाथाना जिले को यथावत रखने की मांग को लेकर भूख हड़ताल पर बैठ कर धरने को जारी रखा। 13 तारीख की बड़ी सभा के बाद आज जनप्रतिनिधि ने समिति के साथ मिलकर राज्य सरकार के खिलाफ एक बड़ी रणनीति का जायजा लिया l

नीमकाथाना कि यह स्थिति न केवल नीमकाथाना की जनता के लिए, बल्कि पूरे राज्य के लोकतांत्रिक ताने-बाने के लिए भी चिंताजनक है। जब लोग अपनी मांगों के लिए शांतिपूर्वक आंदोलन कर रहे हों और सरकार उनकी आवाज़ को अनसुना कर दे, तो यह लोकतंत्र की मूलभूत अवधारणा के खिलाफ है। एक सशक्त लोकतंत्र में जनता की इच्छाओं और समस्याओं को सरकार की प्राथमिकता बनानी चाहिए, लेकिन यहां उल्टा हो रहा है।

नेताओं की जिम्मेदारी बनती है कि वे अपने क्षेत्र की जनता की समस्याओं को उच्चतम स्तर पर उठाएं और इस जनविरोधी फैसले को सरकार के ध्यान में लाएं। मुख्यमंत्री महोदय और अन्य संबंधित मंत्रियों को यह समझना चाहिए कि यदि जनता का विश्वास टूटता है, तो यह उनके राजनीतिक भविष्य को भी प्रभावित कर सकता है। यह कोई छोटे-मोटे मुद्दे नहीं हैं, बल्कि यह सीधे-सीधे जनता के अधिकारों से जुड़ा हुआ मामला है।

अगर सरकार ऐसे ही इस मुद्दे को नजरअंदाज करती रही, तो यह न केवल नीमकाथाना बल्कि पूरे सीकर संभाग में असंतोष और उपेक्षा की भावना को बढ़ावा देगा। इससे शासन और प्रशासन की नकारात्मक छवि बनेगी, जो किसी भी सरकार के लिए नुकसानदेह है। अंततः यह स्थिति सरकार के लिए भी कठिन हो सकती है, क्योंकि हर आंदोलन के पीछे एक सशक्त जन समर्थन होता है, जो अगर बर्बाद हो जाए, तो उसका असर लंबे समय तक रहेगा।
इसलिए, अब समय आ गया है जब सरकार को इस गंभीर मुद्दे का समाधान शीघ्रता से करना चाहिए, ताकि समाज में शांति और संतुलन बना रहे और जनता का विश्वास वापस लौटे।

धरने पर बैठे लोगो में जोश देखा गया और उनकी एकजुटता में निरंतर बढोतरी हो रही है। राजनीतिक दल और सामाजिक संगठन धीरे-धीरे इस आंदोलन से जुड़ रहे है, जिससे इसका प्रभाव और भी व्यापक हो रहा है। यह समर्थन आंदोलन को मजबूती प्रदान कर रहा है और आगे भी इससे जुड़े लोग इस संघर्ष को निरंतर जारी रखने का संकल्प ले रहे है। कई प्रमुख नेता भी इस आंदोलन के समर्थन मे सामने आए है, जिससे आंदोलन को और अधिक मजबूती मिल रही है। लोग अब इस संघर्ष को सिर्फ एक पेशेवर मुद्दा नहीं, बल्कि एक जनांदोलन के रूप में देख रहे है।
विभिन्न राजनीतिक दलो और समाज के प्रमुख व्यक्तियों ने भी अपनी आवाज उठाई और नीमकाथाना जिले को फिर से बहाल करने के लिए संयुक्त संघर्ष का संकल्प लिया। जनसभा में यह संदेश साफ था कि यह मुदा सिर्फ राजनीतिक नहीं, बल्कि जनता का अधिकार और उनका भविष्य है।

धरने में आज किस-किस ने समर्थन दिया और मौके पर कौन-कौन मौजुद रहे?

कांताप्रसाद शर्मा ,भगीरथ विकल, रमजान खान, रफ़ीक कुरेशी, गोरधन तेतरवाल, ज्ञानचंद खटाना, सांवत राम गुर्जर, सूरजमल सैनी, प्रवीण जाखड राजपाल डाई, राजेन्द्र महारानियां,लीलाराम सैनी, मनोज भंवरिया, रामसिंह राजनगर, सुभाष सिंघल, मुरलीधर मीना, श्रीचन्द सैनी, राजेन्द्र आर्य, मदनलाल सैनी, राजेश बाजिया, सुरेश खैरवा, बलबीर खैरवा, रामसिंह डांगी, लक्ष्मण गुर्जर, प्रहलाद महारानियां मनोज भंवरिया , कैलाश ठेकदार ने समर्थन दिया।

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