नीमकाथाना में गूंजी नीमकाथाना को जिला बनाए रखने की मांग विधायक मोदी के नेतृत्व में हुई जनसभा

पूर्व मंत्री राजेंद्र गुढा़ ने नीमकाथाना से भाजपा प्रत्याशी को सुनाई खरी खरी, नीमकाथाना जिला कलेक्ट्रेट पर एडीएम को ज्ञापन देने पहुंचे हजारों लोग और दिग्गज नेता, लगभग 30 मिनट तक नीमकाथाना प्रशासनिक अधिकारियों व पुलिस प्रशासन के सामने होती रही नारेबाजी व तीखी नोंक झोंक

नीमकाथाना: सोमवार को नीमकाथाना जिला हटाए जाने के विरोध में रामलीला मैदान में सर्व समाज और सर्वदलीय जनसभा में हजारों लोग एकत्रित हुए। सांसद अमराराम, विधायक सुरेश मोदी एवं सभी नेताओं के साथ रामलीला मैदान से पैदल चलकर अतिरिक्त जिला कलेक्टर कार्यालय तक अतिरिक्त जिला कलेक्टर को ज्ञापन दिया। इस जनसभा में विधायक सुरेश मोदी ने जमकर विरोध किया और इस फैसले को जनता के साथ धोखा करार देते हुये कहा कि सरकार से इस निर्णय को वापस लेने की अपील की, क्योकि यह स्थानीय जनता के हितों के खिलाफ था। नीमकाथाना क्षेत्र के लोग लंबे समय से जिले की मांग कर रहे थे और अब सरकार का यह कदम उनके अधिकारों का उल्लंघन है। उन्होने यह भी आरोप लगाया है कि यह निर्णय सरकार द्वारा बिना किसी जनभावना के लिया गया है, जो पूरी तरह से गलत है।


मोदी ने कहा कि नीमकाथाना जिले को हटाना स्थानीय जनता के साथ अन्याय है और इस फैसले के खिलाफ हर स्तर पर संघर्ष किया जाएगा। उन्होने कहा कि यह आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक नीमकाथाना को फिर से जिला घोषित नहीं किया जाता। उन्होने अपने समर्थकों से एकजुट रहने की अपील की और इस मुद्दे को संसद तक उठाने का भरोसा दिलाया। विधायक मोदी ने कहा कि अगर जरूरत पड़ेगी तो जल्द ही विधानसभा के घेराव किया जाएगा।
सांसद अमराराम ने भी अपनी बात रखी। उन्होने कहा कि नीमकाथाना जिला को सीकर संभाग से अलग कर इसे फिर से जिला बनाया जाएगा। उन्होने यह भी कहा कि यह संघर्ष तब तक जारी रहेगा जब तक इस फैसले को सरकार वापस नहीं ल लेती। सांसद ने नीमकाथाना क्षेत्र के लोगो को भरोसा दिलाया कि वे उनके साथ है और किसी भी कीमत पर इस निर्णय को पलता जाएगा।


इस जनसभा में विभिन्न राजनीतिक दलो और समाज के प्रमुख व्यक्तियों ने भी अपनी आवाज उठाई और नीमकाथाना जिले को फिर से बहाल करने के लिए संयुक्त संघर्ष का संकल्प लिया। जनसभा में यह संदेश साफ था कि यह मुदा सिर्फ राजनीतिक नहीं, बल्कि जनता का अधिकार और उनका भविष्य है।
विधायक सुरेश मोदी, सांसद अमराराम और सभी नेताओं ने मंच से यह भी घोषणा की कि वे इस मामले को विधानसभा और संसद में उठाएगे। उन्होने स्थानीय जनता को विश्वास दिलाया कि उनके संघर्ष में वे हर कदम पर उनके साथ है। समर्थकों ने जोर-शोर से नारे लगाए और कहा कि नीमकाथाना जिला चाहिए, हमारा हक, हमें मिलना चाहिए, जैसी भावनाओं को व्यक्त किया। जनसभा में यह साफ था कि यह मुद्दा सिर्फ राजनीतिक नहीं, बल्कि जनता की भावनाओं और अधिकारों से जुड़ा हुआ है, और सभी मिलकर इसे हल करने के लिए प्रसिद्व है।

पूर्व आई.ए.एस. के.एल. मीणा ने कहा कि नीमकाथाना को जिला बनाने से यहां के आर्थिक और सामाजिक विकास में काफी सुधार था, और अब इसे हटाने से यहां के नागरिकों की खुशहालीपर प्रतिकूल असर पड़ेगा। उन्होने उदाहरण दिया कि कई अन्य जिलों की तुलना में नीमकाथाना क्षेत्र में प्रशासनिक कार्यो की गति बढ़ी थी, जिससे लोगो को सरकारी सेवाए आसानी से मिल रही थी। नीमकाथाना जिले के पुनर्गठन के लिए यह जनसभा एक ऐतिहासिक कदम साबित हो सकती है, क्योकि इससे स्थानीय जनता की एकजुटता और संघर्ष का पता चलता है। अब यह देखना बाकी है कि सरकार इस विरोध को किस तरह से देखती है और इस पर क्या निर्णय लेती है।

इस सभा को पूर्व मंत्री राजेन्द्र सिंह गुढ़ा, दांतारामगढ़ विधायक विरेन्द्र सिंह, पर्वू प्रदेश सचिव व पी.सी.सी. सदस्य बालेन्दू सिंह, पूर्व खेतड़ी विधायक पूरणमल सैनी, पी.सी.सी. सदस्य सुमित मोदी, मदनलाल सैनी, रामस्वरूप खटाणा, क्रय-विक्रय सहकारी समिति अध्यक्ष पवन मील, लक्ष्मण सिंह सरपंच, सुरेश खैरवा सरपंच, ओम प्रकाश सैनी, राजेन्द्र महराणियां, विक्रम यादव, शिवपाल भाटी, मूलचन्द सैनी उदयपुरवाटी, गीता सैनी, मालाराम वर्मा, जयसिंह डाबला, श्रीराम गुर्जर ने सम्बोधित करते हुए सरकार के निर्णय की कड़े शब्दों में निन्दा की तथा संघर्ष समिति को तन-मन-धन से हर प्रकार का सक्रिय सहयोग देने का आश्वासन दिया। इस सभा में क्षेत्र के जिला पार्षद, पंचायत समिति सदस्य, सरपंच एवं पार्षदगणों ने बड़ी संख्या में भाग लेकर विरोध दर्ज करवाया।

नीमकाथाना जिला बनाने की मांग को लेकर 14 वें दिन भी क्रामिक भूख हड़ताल पर लक्ष्मण डोई मावण्डा खुर्द, इन्द्राज यादव पूछलावाली, राजू यादव पूछलावाली, मुकेश गुर्जर बन्धा की ढाणी, बृज लाल धानका छावनी को विधायक मोदी ने माला पहनाकर भूख हड़ताल पर बैठाया। जिसमें नीमकाथाना जिले को यथावत रखने की मांग को लेकर भूख हड़ताल पर बैठ कर धरने को जारी रखा।

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